< >–>

3 Real haunted stories।। Lal Tibba Haunted Story in Hindi | मसूरी की पहाड़ी जहाँ आज भी आख़िरी सीटी सुनाई देती है.

 
Sahajjob.in

Hello friends. अगर आप सब भी मेरी तरह hounted stories पसंद करते हैं तो ये Real place stories आपको जरूर पसंद आयेगी। 

Lal Tibba Haunted Story in Hindi. 


मसूरी की पहाड़ी जहाँ आज भी आख़िरी सीटी सुनाई देती है. 


कहानी-1 लाल टिब्बा, मसूरी – आख़िरी

 सीटी की पुकार।। 

लाल टिब्बा मसूरी का सबसे ऊँचा पॉइंट है। पर्यटक दिन में यहाँ तस्वीरें खिंचवाते हैं, लेकिन स्थानीय लोग सूरज ढलने के बाद यहाँ नहीं जाते।क्योंकि कहते हैं—यहाँ आज भी एक अंग्रेज़ अफ़सर की आत्मा घूमती है।

मीरा एक ट्रैवल ब्लॉगर थी। उसे सुनसान जगहों से डर नहीं लगता था। एक शाम वह अकेली लाल टिब्बा पहुँच गई। चारों तरफ़ घना कोहरा था और ठंडी हवा सीटी बजा रही थी।
तभी उसे सच में सीटी की आवाज़ सुनाई दी।

मीरा को लगा कोई और टूरिस्ट होगा।लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
अचानक उसके सामने एक आदमी खड़ा था—पुरानी ब्रिटिश वर्दी, हाथ में लालटेन, चेहरा पीला।उसने धीमे से कहा—“तुमने मेरी आख़िरी सीटी सुनी?”
मीरा कुछ बोल नहीं पाई।
उस आदमी ने बताया कि वह एक ब्रिटिश अफ़सर था, जिसने इसी पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।कारण—धोखा और अकेलापन।

जैसे-जैसे वह बोलता गया, आसपास का माहौल बदलता गया।कोहरा घना हो गया।पेड़ सूखे दिखने लगे।
अचानक उस आदमी की आँखों से खून बहने लगा।उसने मीरा का हाथ पकड़ लिया—“अब मेरी बारी नहीं… तुम्हारी है।”
मीरा चीख़ी और बेहोश हो गई।

सुबह लोग उसे सड़क के किनारे पाए।वह ज़िंदा थी, लेकिन उसकी आवाज़ चली गई थी।
आज भी अगर आप लाल टिब्बा में रात को जाएँ,तो हवा में एक सीटी गूंजती है…और अगर आपने पलटकर देख लिया—तो अगली सीटी आपकी होती है। 


कहानी-2 Savoy Hotel, मसूरी:

जहाँ नंबर 404 आज भी साँस लेता है।। 

sahajjob.in


मसूरी का Savoy Hotel बाहर से जितना खूबसूरत दिखता है, उतना ही अंदर से रहस्यमयी। ब्रिटिश दौर में बना यह होटल अपनी शाही बनावट के लिए मशहूर है, लेकिन रात होते ही इसकी दीवारों में छिपी कहानियाँ जाग उठती हैं। स्थानीय लोग कहते हैं—
“यह होटल सोता नहीं… बस चुप रहता है।”

कहानी शुरू होती है अनन्या से, जो एक फ्रीलांस राइटर थी। उसे haunted places पर सच्ची कहानियाँ लिखने का शौक था। मसूरी आई तो Savoy Hotel में रुकने का फैसला किया। रिसेप्शन पर बैठे बुज़ुर्ग ने बस इतना कहा—
“मैडम… कमरा बदलवाने का ऑप्शन रहेगा।”

अनन्या हँस दी। उसे "कमरा नंबर 404 " दिया गया।
कमरे में घुसते ही ठंड सी दौड़ गई। खिड़की से पहाड़ दिख रहे थे, लेकिन शीशे पर जैसे किसी ने उँगलियों से निशान बना रखे हों।

रात करीब 12 बजे अनन्या लिख रही थी, तभी उसे **कदमों की आवाज़** सुनाई दी।
टक… टक… टक…
दरवाज़े के बाहर।

उसने दरवाज़ा खोला—कोई नहीं।

जैसे ही वह पलटी, कमरे का आईना धुंधला हो गया। उसमें एक औरत की परछाईं उभरी—पुराने ज़माने के कपड़े, गर्दन पर निशान, आँखों में दर्द।
अनन्या की आवाज़ नहीं निकली।

अचानक कमरे का फोन बज उठा।
रिसेप्शन नहीं… बल्कि उसी कमरे से।

फोन उठाते ही धीमी आवाज़ आई—
“वो मुझे ज़हर देकर मार गए…”

अनन्या का सिर घूमने लगा। उसे याद आया—Savoy Hotel से जुड़ी एक पुरानी घटना, जहाँ एक अंग्रेज़ महिला की रहस्यमयी मौत हुई थी, और कातिल कभी पकड़ा नहीं गया।

कमरे की लाइट अपने आप बंद हो गई। ठंडी हवा के झोंके के साथ कोई उसके कान में फुसफुसाया—
“तुम सुन सकती हो… इसलिए तुम रुकोगी।”

अनन्या भागकर बाहर निकली। कॉरिडोर लंबा होता चला गया, दरवाज़ों के नंबर बदलने लगे—401, 402, 403… फिर वापस 404।

सुबह जब होटल स्टाफ कमरे में पहुँचा, तो अनन्या नहीं थी।
सिर्फ़ उसका लैपटॉप खुला था।

स्क्रीन पर आख़िरी लाइन लिखी थी—
“Savoy Hotel में मरना आसान है… बाहर जाना नहीं।”

आज भी कहते हैं, अगर आप Savoy Hotel में रात को ठहरें और कमरा 404 के पास से गुजरें, तो किसी लड़की के कीबोर्ड की आवाज़ सुनाई देती है…
और आईने में एक और परछाईं। 


Dehradun की Haunted Mine: Lambi Dehar Mines की सच्ची डरावनी कहानी



 कहानी -3 लंबी देहर माइन्स: जहाँ आज

 भी सिसकियाँ गूंजती हैं।। 

sahajjob.in


देहरादून की हरी-भरी वादियों के बीच, मसूरी रोड से थोड़ा हटकर एक जगह है— "लंबी देहर माइन्स"। दिन में यह जगह वीरान और खामोश लगती है, लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, यहाँ की हवा बदलने लगती है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहाँ आज भी उन आत्माओं की आवाज़ें सुनाई देती हैं, जो कभी इन खदानों में ज़िंदा दफन हो गई थीं।

कहानी शुरू होती है "आरव" से, जो एक ट्रैवल  था। उसे haunted places पर घूमना बहुत पसंद था। देहरादून आने पर उसने लंबी देहर माइन्स के बारे में सुना, और बिना ज़्यादा सोचे वहाँ जाने का फैसला कर लिया। लोगों ने मना किया—
“शाम के बाद मत जाना… वहाँ कुछ ठीक नहीं है।”
लेकिन आरव ने इसे बस अफवाह समझा।

शाम के करीब सात बजे वह माइन्स के पास पहुँचा। चारों तरफ़ घना जंगल, टूटी हुई रेलिंग और ज़मीन में गहरे गड्ढे। हवा में अजीब सी सड़ांध थी। जैसे ही उसने कैमरा ऑन किया, अचानक उसकी रिकॉर्डिंग में 'किसी के रोने की आवाज़' आने लगी।
आरव ने चौंककर चारों ओर देखा—कोई नहीं।

अचानक उसे महसूस हुआ कि कोई उसे देख रहा है। पीछे मुड़ते ही उसने एक साया देखा—धुँधला, लेकिन इंसानी आकृति जैसा। उसकी आँखें काली थीं और चेहरा जैसे राख से ढका हो। आरव के पैर जम गए।
“यह सिर्फ़ डर है,” उसने खुद से कहा।

तभी उसके कानों में एक फुसफुसाहट गूंजी—
“हमें बाहर निकालो…”

आरव भागने लगा, लेकिन रास्ता जैसे बदल गया था। वही रास्ता, वही पेड़, वही गड्ढे—बार-बार। अचानक ज़मीन धँस गई और वह गिर पड़ा। गिरते हुए उसे सैकड़ों हाथ अपनी तरफ खींचते महसूस हुए। मजदूरों के चेहरे—खून से सने, आँखों में दर्द।

सुबह जब गाँव वाले वहाँ पहुँचे, तो आरव नहीं मिला। सिर्फ़ उसका कैमरा पड़ा था।
जब पुलिस ने कैमरा चेक किया, आख़िरी वीडियो में एक आवाज़ थी—
“अब तुम भी हमारे साथ हो…”

आज भी कहते हैं, अगर आप रात में लंबी देहर माइन्स के पास जाएँ, तो हवा में किसी ब्लॉगर की आवाज़ सुनाई देती है—
कैमरा ऑन करते हुए… और फिर एक चीख।


Note-- ये तीनों कहानियाँ Real place की वो घटनाएँ है जो लोगों के मुहॅ से एक से दूसरे तक पास होती रही हैं। कृपया इन्हें मनोरंजन के लिए ही पढ़े। धन्यवाद🙏

Tage- hounted stories, kahani, story

Post a Comment

0 Comments

-–>