दीवार में एक खिड़की रहती थी (विनोद कुमार शुक्ल) उपन्यास।।
दीवार में एक खिड़की रहती थी” साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास है। यह कहानी मानवीय संवेदनाओं, यादों और समाज में व्याप्त जटिलताओं को बारीकी से उजागर करती है। उपन्यास की मुख्य कहानी एक ऐसे पात्र के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों और संघर्षों का सामना कर रहा है। दीवार और खिड़की का प्रतीकात्मक उपयोग लेखक ने इस भाव को दर्शाने के लिए किया है कि कैसे व्यक्ति अपने जीवन की बंदिशों और सीमाओं के बावजूद नई उम्मीद और संभावनाओं की तरफ देख सकता है।
कहानी में भावनाओं और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण पर गहरी पकड़ है। लेखक ने छोटे-छोटे दृश्यों और संवादों के माध्यम से पात्रों की आंतरिक पीड़ा और समाज में उनकी जगह को दिखाया है। उपन्यास का विषय सरल प्रतीत होता है, लेकिन इसमें छिपे प्रतीक और संदेश इसे गंभीर और प्रभावशाली बनाते हैं।
खास बातें:--
साहित्यिक पुरस्कार: यह उपन्यास साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित है, जो इसकी साहित्यिक गुणवत्ता और सामाजिक प्रासंगिकता का प्रमाण है।
प्रतीकात्मक भाषा: “दीवार” और “खिड़की” का प्रतीकात्मक अर्थ जीवन की सीमाओं और संभावनाओं को दर्शाता है।
भावनात्मक गहराई: पात्रों के मनोवैज्ञानिक संघर्ष और जीवन की कठिनाइयों को बारीकी से प्रस्तुत किया गया है।
सामाजिक संदेश: उपन्यास समाज की जटिलताओं, अन्याय और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करता है।
पठन अनुभव: यह उपन्यास पाठक को सोचने और आत्मनिरीक्षण करने के लिए मजबूर करता है।
कितनी कमाई हुई Earning.
इस उपन्यास ने साहित्यिक दृष्टि से अधिक मूल्य प्राप्त किया है, जबकि व्यावसायिक कमाई सीमित रही। अनुमानित रूप से, भारत में किताब की कुल बिक्री से इसे लगभग ₹5–7 लाख तक की आय हुई होगी। हालांकि, यह राशि सीधे प्रकाशक और लेखक के बीच बंटती है और लेखक की वास्तविक कमाई उससे कम होती है। इसे मुख्य रूप से साहित्य प्रेमियों और पुरस्कार विजेताओं की सूची में स्थान मिलने के कारण खरीदा गया।
निष्कर्ष:--
“दीवार में एक खिड़की रहती थी” एक ऐसी रचना है जो सरल शब्दों में गहरे विचार व्यक्त करती है। यह उपन्यास जीवन की कठिनाइयों, उम्मीद और सामाजिक संवेदनाओं के बीच संतुलन दिखाता है। इसे पढ़ना न केवल साहित्यिक अनुभव देता है बल्कि पाठक को अपने जीवन और समाज के प्रति संवेदनशील भी बनाता है।
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