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Happy Diwali।। Diwali।। Diwali msg।। My childhood memories of diwali।। मेरी बचपन की दिवाली ।।

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Diwali दीपावली जिसे प्रकाश पर्व भी कहते हैं। चारों तरफ जगमग करती हुई रोशनी मन को उल्लास से भर देती हैं। मैं अक्सर सोचती हूँ हम साल में एक बार ही घर को रौशन क्यों करते हैं हर रोज़ क्यों नहीं। दशहरा और दिवाली से मेरा विशेष लगाव रहा है। घर के कोने कोने को साफ करना जैसे बंद दरवाजो को हवा दिखा रहे हो।  

Diwali कब मानते हैं ?

Dipawali कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती हैं। इस वक़्त मौसम ना ज्यादा गर्म होता है ना ठंडा। दीवाली एक साल october में आती हैं और एक साल november में आती हैं। इस पर्व को भारत में बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

भारत में बहुत सारी भाषाओं और धर्मों को मानने वाले लोग पाए जाते हैं।दिवाली मुख्यतः हिंदुओं का पर्व माना जाता हैं। मुस्लिम वा कृशचंन् समुदाय के लोग भले ही इस त्यौहार को ना मानते हो परंतु अपने दोस्तो को शुभकामनाएं देने और पटाखे छुड़ाने में वो जरूर खुले दिल से शामिल होते हैं। 

Diwali से जुड़ी हुई लोक कथाएँ।

एक कथा जो बहुत प्रचलित है और हम बचपन से सुनते आ रहे हैं वो इस प्रकार है। 
राजा दशरथ की तीन रानियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी जिनसे राजा दशरथ को चार पुत्र थे। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन। 
राजा अब बूढ़े हो चले थे और अब वो राज्य की बाग़डोर अपने पुत्रो के हाथों में देना चाहते हैं। लेकिन वो राम को राजा नियुक्त करना चाहते थे। राम के राज्याभिषेक के चर्चे चारों तरफ होने लगे। सभी खुश थे। सारी प्रजा चाहती थी कि राम राजा बने। तीनों रानियाँ भी बहुत खुश थी। 

लेकिन कहते हैं होनी हो कर रहती हैं और उसका कारण बन जाता है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ। कैकेयी राजा दशरथ की दूसरे नंबर की रानी थी। उनका बेटा भरत था लेकिन वो राम को भी बहुत प्यार करती थी। कहानी यही से शुरू होती हैं जब रानी राम को इतना प्यार करती थी तो क्यों उनके बनवास जाने का कारण बनी। 

एक बार राजा दशरथ की जान खतरे में थी तो रानी कैकेयी ने उनकी जान बचाई थी उस समय राजा ने रानी को 2 वर दिये। रानी ने कहा कि वो समय आने पर अपने वर मांग लेगी। 

राम के राज्याभिषेक की चर्चा बहुत जोर शोर से हो रही थी। कैकेयी की एक दासी थी मंथरा जो बहुत दुष्ट स्वभाव की थी। उसने रानी को भड़का दिया कि तुम अपने पुत्र के लिए राजगद्दी मांगो। वो कैकेयी जो राम को अपने पुत्र से भी अधिक प्रेम करती थी। उसकी मति मारी गई और उसने राजा से अपने दो वर मांग लिए। एक वर राम को 14 वर्ष का बनवास और दूसरा भरत को राज गद्दी। 

Diwali क्यो मानते हैं ?

उपर आपने एक कथा सुनी कि रानी कैकेयी ने राम को बनवास करवा दिया था। 14 वर्ष के बनवास मे राम के साथ लक्ष्मण और देवी सीता भी गए थे। बनवास के दौरान इन्हे बहुत तकलीफो का सामना करना पड़ा।

लंका के राजा रावण की बहन सूपनखा लक्ष्मण को देख कर मोहित हो गई और उस से विवाह करने की जिद्द करने लगी परंतु उन्हों ने मना कर दिया। बात इतनी ज्यादा बड़ गई कि लक्ष्मण ने गुस्से में आ कर उसकी नाक काट दी। सूपनखा रोती हुई रावण के पास गई। अपनी बहन की इतनी दुर्दशा देख कर रावण गुस्से में भर गया और उसने देवी सीता का हरण कर लिया। और देवी सीता को अशोक वाटिका मे रखा। देवी सीता को वापिस लाने के लिए राम और रावण का युद्ध हुआ। इस युद्ध मे रावण मारा गया और राम की विजय हुई। 

राम देवी सीता और लक्ष्मण के साथ जब अयोध्या पहुँचे तो लोगो ने बड़े हर्शोलास के साथ उनका स्वागत किया और पूरी अयोध्या को दीये जला कर रौशन कर दिया। घर घर में मंगल गान गाये गए। पूरा अयोध्या दीयो की रौशनी में खुशी और उल्लास से भर गया। इसी दिन को दीपावली के रूप में मानते हैं। आप कह सकते हैं कि दीवाली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिक है। 

My childhood memories of diwali.

मेरे लिए दीवाली ,दशहरे से ही शुरू हो जाती थी। स्कूल जाने वाली एक बेफिक्र जिंदगी थी वो। घर के पास वाले स्कूल में रामलीला का मंचन होता था। रात को खाना खाने के बाद हम सब लोग इक्कठा हो कर रामलीला देखने जाते थे। हवा में हल्की सी ठंडक होती थी। ऐसे में मुगफली की ठेली से मुगफली ले कर खाने में बहुत आनंद आता था। 

ये आनंदमय सिनसिला Diwali तक चलता था। माँ के साथ घर की साफ सफाई में हाथ बटाना, नये नये कपड़ो की खरीदारी करना, मिठाई पटाखे लेना सब कुछ कितना सकून् देने वाला था। सच में हम माता पिता के संरक्षण में ही आनंद ले सकते हैं। मेरे पास बहुत सारी यादें हैं फिक कभी सांझा करुगी आपके साथ। अभी के लिए आप सभी को happy Diwali

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त्योहार खुशियों का प्रतिक होता है तो उसमें दिये जाने वाले gift भी ऐसे होने चाहिए जो लेने और देने वाले दोनों को ही खुशी दे। वक़्त के साथ साथ त्योहारों पर दिये जाने वाले उपहारों का स्वरूप भी बदला है। पहले लोग दीवाली पर मिठाई का डब्बा gift के रूप में देते थे लेकिन बीते वर्षो में खरीदारी online होने लगी और उसके उपर तरह तरह के विज्ञापनो ने लोगों की मानसिकता को ही बदल दिया। 

Gift ऐसा दे जो दूसरे के लिए उपयोगी हो और खुशी का ख्याल रखना चाहिए। उपहार के साथ भावनाऐ भी जुड़ी होती हैं। कुछ उपहार ऐसे होते हैं जिन्हें लोग सालों साल सम्भाल कर रखते हैं। जब भी वो उन उपहारों को देखते हैं उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं। 
इसलिए गिफ्ट का बहुत महत्व है। 

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आप मार्केट से भी उपहार खरीद सकते हैं और online भी खरीद सकते है। जो भी बस उसके साथ मिट्टी के सुंदर दिये जरूर दे। दिये उजाले के प्रतिक है इन्हे देखते ही मन खुश हो जाता हैं। साथ ही आप हाथ से काम करने वाले कलाकारों के रोजगार को भी बड़वा देंगे। 

आप चाहे तो amazon या flipkart जैसी online shopping site से भी innovative gift खरीद सकते हैं। बस जो भी दे खुशी से दे।  आपको आपके budget मे बहुत सारे item  इन site पर मिल जायेंगे। तो देर किस बात की है चलिए करिये दीवाली की खरीदारी। 
Happy Diwali all of you. 

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