मिर्जा ग़ालिब।ग़ज़ल।दिले नादाँ तुझे हुआ क्या हैं।
Gazal(ग़ज़ल)
दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है।।
हम है मुश्ताक और वो बेज़ार
या इलाही ये माज़रा क्या है।।
जब के तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा-ए-ख़ुदा क्या है।।
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।।
मिर्ज़ा ग़ालिब
वो शोखियाँ, वो इनायात और शब्-ए-वस्ल.....ग़ज़ल सीमा रिफ़अत
आग़ोश में किसी की सोया वो चैन से..ग़ज़ल। सीमा रिफ़अत
जब के तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा-ए-ख़ुदा क्या है।।
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।।
मिर्ज़ा ग़ालिब
वो शोखियाँ, वो इनायात और शब्-ए-वस्ल.....ग़ज़ल सीमा रिफ़अत
आग़ोश में किसी की सोया वो चैन से..ग़ज़ल। सीमा रिफ़अत
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